Translate

हम हैं भगवान राम के वंशज ! !…जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया ने किया दावा… वंशावली सहित ये सबूत भी दिखाये ….कोर्ट में भी सबूत पेश करने को तैयार

हम हैं भगवान राम के वंशज !…जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया ने किया दावा… वंशावली सहित ये सबूत भी दिखाये ….कोर्ट में भी सबूत पेश करने को तैयार
  August 11, 2019


Related image

जयपुर 11 अगस्त 2019।….तो भगवान राम के वंशज आज भी हैं ?…क्या अयोध्या से जुड़े वंशों के तार जयपुर में मौजूद हैं ?…इन सभी सवालों के जवाब के साथ जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी दीया कुमारी सामने आयी है। राजकुमारी दीया ने ना सिर्फ राजा रामचंद्र के वंशज होने का दावा किया है, बल्कि इसके लिए अपना सबूत भी प्रस्तुत किया है।



Related image

वंशावली में 289वें वंशज के रूप में स्वाई जयसिंह और 307वें वंशज के रूप में महाराजा भवानी सिंह का नाम लिखा है। पूर्व राजकुमारी दीया के अनुसार कच्छवाहा वंश के भगवान राम के बड़े बेटे कुश के नाम पर कुशवाहा वंश भी कहा जाता है. इसकी वंशावली के मुताबिक 62वें वंशज राजा दशरथ, 63वें वंशज श्री राम, 64वें वंशज कुश थे. 289वें वंशज आमेर-जयपुर के सवाई जयसिंह, ईश्वरी सिंह और सवाई माधो सिंह और पृथ्वी सिंह रहे. भवानी सिंह 307वें वंशज थे.



सवाई जयसिंह ने अयोध्या में बनावाया था मंदिर, सरयू नदी पर की थी पूजा
पूर्व राजकुमारी दीयाकुमारी ने बताया कि सवाई जयसिंह ने 1717 में अयोध्या में मंदिर भी बनवाया था. साथ ही सरयू नदी जहां श्री राम ने समाधी ली थी, वहीं पूजा भी कराई थी. 1776 में नवाब वजीर असफ- उद- दौला ने राजा भवानी सिंह को हुक्म दिया था कि अयोध्या और इलाहाबाद स्थित जयसिंहपुरा में कोई दखल नहीं दिया जाएगा. ये जमीनें हमेशा कच्छवाहा के अधिकार में रहेंगी. औरंगजेब की मृत्यु के बाद सवाई जयसिंह द्वितीय ने हिंदू धार्मिक इलाकों में बड़ी-बड़ी जमीन खरीदीं. 1717 से 1725 में अयोध्या में राम जन्मस्थान मंदिर बनवाया था.



इस बारे में नाथ ने शोध ग्रंथ की पुस्तक स्ट्डीज इन मिडीवल इंडियन आर्केटेक्चर में दस्तावेज के साथ साबित किया है कि अयोध्या में कोट राम जन्मस्थान सवाई जयसिंह द्वितीय के अधिकार में रहा था।पद्मनी देवी ने बताया कि 1992 में ही ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने मानचित्र सहित अन्य दस्तावेज न्यायालय को सौंप दिए थे. जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा यह फर्ज बनता था.
इतिहासकार आर नाथ ने दावा किया है कि रामजन्म स्थान जयसिंहपुरा में है.जिसकी भूमि को बादशाह औरगजेब की 1707 में मृत्यु के बाद सन् 1727 में हासिल की गई. भूमि पर निर्माण की जयसिंह को इजाजत दी गई. प्राचीन मानचित्र और दस्तावेज में अयोध्या में हवेली ,सरईपुर, कटला भी है.अवध के नायब नाजिम कल्याण राय का हुकुमनामा भी है.सवाई जयसिंहपुरा परकोटे से घिरा था. जयसिंह ने सरयू नदी पर धार्मिक अनुष्ठान भी कराया था. मानचित्र में अयोध्या के स्थानों का विहंगम दृश्य दिखाया है. सारे निर्माण कार्य आठ साल में पूरे किए गए थे. किला महल औ रामकोट भी जयसिंहपुरा में शामिल था. इसमें धुनषाकार प्रवेशद्वार था.
भगवान राम की खडा़ऊ का स्थान भी था. जानकीजी का स्नानागार और 9 मंजिला महल था. सप्तसागर महल में राम के शिक्षा ग्रहण करने का स्थान और सीता का अग्नि कुंड भी था.सवाई जयसिंह ने भूमि खरीदने के बाद वहां सुरक्षा के लिए परकोटा बनाया.खरीद के पेटे रकम का भुगतान रियासत द्वारा करने के दस्तावेज भी हैं. सारा इलाका सैन्य सुरक्षा से घिरा था और इसमें किसी दूसरे को निर्माण की इजाजत नहीं थी.यहां का किला कोट रामचन्द्रपुरा सरयू तट से करीब 40 फीट ऊंचाई पर बनाया गया.सवाई जयसिंह ने रामजन्म स्थान का जीर्णोद्धार करवाया. हिन्दू शैली के मंदिर में तीन शिखर भी बनाए और निर्माण कार्य हिन्दू धर्म शास्त्र के मुताबिक किया गया.

"ALL UPLOADS"

MY ALL UPLOADS (SARKARI RESULTS FAST) CLICK HERE

  1-   AMERICAN LAB TECHNOLOGIST EXAM QUESTION ANSWER 2-  Clinical Chemistry mcqs for Medical Lab Technologist, 3-   Lab Technician Previous...

Popular Post