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Urine Analysis

Urine Analysis In Hindi Question Answer.
Urine Analysis

MCQs




 1- मूत्र परीरक्षक जो प्रोटीन में झूठी सकारात्मक प्रतिक्रिया का कारण बनता है?
answer - Thymol

2. हरे रंग का मूत्र में क्या पाया जाता है?
Ans- 1 jaundice 2 phenol poisoning

3. किसके कारण मूत्र का रंग डार्क हो जाता है?
Ans- high specific gravity and low PH

4.  मूत्र में फल की गंध किस कारण आती है?
Ans. Ketosis

5.  मूत्र का रंग किसकी उपस्थिति में दूधिया हो जाता है?
Ans. purulent genital urinary tract disease and chyluria, अस्थि मज्जा विकृति,

6.  नेफ्रोटिक रोगियों में सुबह के नमूने इसके कारण बने तत्वों को संरक्षित करते हैं?
Ans- high specific gravity and low PH

7. मूत्र का रंग नारंगी किस कारण से होता है?
Ans. - fever , urobillinogenuria , excessive sweating and concentrated urine,

8. एक वयस्क आदमी 1 दिन में कितना सामान्य मात्रा में मूत्र त्याग करता है?
Ans.1200ml - 1500 ml

9. खराब या अधूरे पाचन चयापचय के फलस्वरूप उत्पन्न होता है ?
Ans- कीटोन बॉडीज

10.  किस प्रकार का कीटोन बॉडी पेशाब में उपस्थित होता है?
Ans. beta hydroxy butyric acid

11. कीटोन यूरिया indicative of?
Ans- ketoacidosis

12. मूत्र में कीटोन बॉडीज की उपस्थिति ज्ञात करने के लिए किस विधि का इस्तेमाल किया जाता है?
Ans Rothera's test, legal's test ,paper strip test, acetic acid test,

13-  मूत्र का उत्सर्जन 2000ml से अधिक होना क्या कहलाता है ?
Ans- पॉली यूरिया

14. मूत्र का उत्सर्जन 500ml से कम होना क्या कहलाता है?
Ans - Oligouria

15. नॉरमल यूरीन स्पेसिफिक ग्रेविटी कितना होता है?
Ans. - 1.001 to 1.035

16. पॉली यूरिया किस कारण होता है ?
Ans. neurotic polydipsia,
Diabetes mellitus,
diuretics,
chronic renal failure,
addison's disease,

17. Nocturia is observed mainly in ?
answer-  chronic Glomerulonephritis

18. मूत्र का स्पेसिफिक ग्रेविटी कम कब होता है?
Ans- hyposthenuric urine

19.  पेशाब का स्पेसिफिक ग्रेविटी 1.010 फिक्स होता है तब पेशाब को क्या कहते है?
Ans- Isosthenuric Urine

20- पेशाब में स्पेसिफिक ग्रेविटी किस पर डिपेंड करता है?
Ans- solutes in urine

21. किस कारण पेशाब का स्पेसिफिक ग्रेविटी बड़े जाता है?
Ans. excessive sweating ,
acute nephritis
glycosuria
Albuninuria

23. किस कारण पेशाब का स्पेसिफिक ग्रेविटी कम हो जाता है?
Ans- chronic nephritis
ADH deficiency
Arteosclerotic kidney

24. पेशाब में प्रोटीन की सामान्य मात्रा कितनी होती है?
Ans- 2- 8mg/dl

25.  मूत्र में वर्णक(Bile pigment) को ज्ञात करने के लिए किस विधि का उपयोग किया जाता है?
Ans- foam test,
iodine ring test
Diazotes,
Harrison test,

26- Ehrlich's test किसे ज्ञात करने के लिए किया जाता है?
Ans- bile salt,
bile pigment,
urobilinogen,

27- bile Salts and bile किसके द्वारा बनाया जाता है?
Ans. Liver

28- किस फैक्टर के द्वारा डब्ल्यूबीसी WBC काउंट किया जाता है?
Ans- "Factor 20"

29.न्यूबौर चैंबर की गहराई कितनी होती है?
Ans- 0.1 mm

30.  कौन कौन से चेम्बर का प्रयोग सेल का Count करने के लिए करते हैं?
Ans- Newbauers chamber
Burker's
Fuch's Rosenthal Ruled
All of these
31- डब्ल्यूबीसी का Depth फैक्टर कितना होता है?
Ans. 10

32-  पेशाब में लौह की उपस्थिति क्या कहलाती है?
Ans-   हीमेचूरिया

33- इश्चिरिया कोलाई के इंफेक्शन के दौरान मूत्र कैसा उत्सर्जन होता है ?
Ans- Acidic

34-  ल्यूकोसाइट और इरिथ्रोसाइट्स का पेशाब में एकसाथ संक्रमण किस बीमारी का संकेत देता है?
Ans- glomerular disease

35-  सामान्यता मूत्र में पाया जाने वाला क्रिस्टल का नाम?
ans-  कैल्शियम हाइड्रोजन फास्फेट

36- मूत्र में लाल पीले दाने के रूप में क्या पाया जाता है?
ans. amorphou urates.

37-  किसके कारण मूत्र में बाइल साल्ट की उपस्थिति कम हो जाती है?
Ans- surface tension of urine

38-  मूत्र में ग्लूकोस की उपस्थिति क्या कहलाता है ?
Ans- glycosuria

39- जब सामान्य व्यक्ति द्वारा बहुत अधिक मात्रा में फल लेता है तो उस समय उत्सर्जित मूत्र को क्या कहते हैं ?
ans- pentosuria

40-पेशाब में फाल्स प्रोटीन पॉजिटिव से बचने के लिए क्या दो-तीन बूंद डाला जाता है?
ans- N/10  HCL

41-  किस प्रकार के पेशाब में Amorphous फास्फेट्स पाया जाता है?
Ans- Alkaline urine

42-  पेशाब को कौन क्षारीय (Alkaline) पेशाब में बदलता है?
Ans- Protus(urea splitting)

43-  मूत्र की आपेक्षित घनत्व मापने के लिए किस विधि का इस्तेमाल किया जाता है?
ans. urinometer & refractometer

44-  गर्मियों के दिनों में मूत्र में कितने समय पश्चात विघटन शुरू हो जाता है?
Ans- 6 hrs.

45-  मुत्र को विघटन होने से बचाने के लिए क्या मिलाया जाता है?
Ans-  परी रक्षक,(Toluene,HCL,Thymol,formaline)

46-  मूत्र में फल का गंध किस का परिचायक है?
Ans- Acitone present  जो मधुमेह का कारण है,

47-  रक्त मेह या हिमेचूरिया की जांच किसके द्वारा की जाती है?
Ans- benzidine test and Gayiek Test.

48-  मूत्र में बिलुरुबिन का पता लगाने के लिए क्या जांच की जाती है?
Ans-  फैन परीक्षा, फाॅचेस्ट परीक्षण ,ग्मेनीलम टेस्ट , डायजो  test, पेपर स्ट्रिप्स, आयोडीन रिंग परीक्षण,

49-  मेयर चार्ल्स परीक्षण का दूसरा नाम क्या है ?
Ans- आयोडीन रिंग परीक्षण

50-  हैरिसन का दूसरा नाम कौन सा टेस्ट है?
Ans. डायजो टेस्ट

 * मूत्र की प्रतिक्रिया को छारीय बनाने के लिए किस औषधि का प्रयोग करते हैं?
Ans-  सोडियम साइट्रेट

*मूत्र को अम्लीय बनाने के लिए किस औषधि का प्रयोग करते हैं ?
Ans.अमोनियम क्लोराइड

* ग्लौमेरुलस प्रति मिनट कितना एम एल छानता है- 125ml

*ग्लौमेरुलस केपिलरिस के चारों और उपस्थित झिल्ली को कहते हैं -Bowman's कैप्सूल

* किडनी के किस अंग द्वारा पुनः अवशोषण का कार्य होता है उसे कहते हैं - Tubule

* 1 मिनट में कितना मूत्र का निर्माण होता है अर्थात प्रति मिनट मूत्र का एवरेज क्या होता है - एक मिली• प्रति मिनट

☆किडनी प्रतिदिन कितना लीटर छानता है-  180 लीटर प्रति 24 घंटे

☆मूत्र का सामान्य घनत्व 1.003 से 1.030 होता है

☆मूत्र में प्रति लीटर ठोस पदार्थ होता है-  30 से 70 ग्राम प्रति लीटर

☆ मूत्र का नमूना कैसे समय में अर्थात सुबह का कौन सा मूत्र लेते हैं प्रथम मध्य या अंतिम - बीच का व सुबह का

☆मूत्र में शुगर की मात्रा जांचने के लिए PP (पोस्टप्रांडियल) यूरिन भोजन के कितने देर बाद लेते हैं - 2 घंटे बाद

☆ पेशाब को कौन क्षारीय पेशाब या अल्कलाइन यूरिन में बदलता है - प्रोटियस (यूरिया स्प्लिटिंग  Uria Splitting)

☆Nocturia अधिकांश कब होता है-- क्रॉनिक ग्लौमेरूलोनेफ्राइटिस होता है तब

☆ पेशाब की घनत्व किस पर डिपेंड रहता है वह है - सॉल्यूट्स इन यूरिन

☆ मूत्र में शक्कर की उपस्थिति क्या कहलाता है - Glycosuria

☆60 सेंटीग्रेड में कौन से क्रिस्टल रिडिजॉल्व होता है -

☆  सामान्य व्यक्ति का मूत्र पेंटोसुरिया होता है तो इसका कारण क्या होता है - बहुत ज्यादा फल का सेवन होन

☆ प्राकृतिक यूरिन में क्रिस्टल होता है- कैल्शियम हाइड्रोजन फास्फेट

☆ Amorphous  यूरेटर्स फाउंड इन-  एसिडिक यूरीन

☆ पेशाब में किस समय परिस्थिति में एल्ब्यूमिन की मात्रा बढ़ जाती है जिसके करने के बाद-  वह फिजिकल एक्टिविटीज

 ☆कैल्शियम शरीर से डिस्चार्ज कर शरीर किसके द्वारा त्याग करता है वह - यूरीन एंड स्टूल

☆किसके चयापचय का टूटने के कारण यूरिक एसिड का निर्माण होता है - न्यूक्लिक एसिड

☆ वी एम ए का पूरा नाम क्या है
-Vanillyl mandelic Acid

☆- वीएमए क्या है यह डोपामाइन एपीनेप्रीन और नारपेनेफ्रीन का अंतिम मेटाबोलाइट होता है ।

☆पेशाब में लैक्टोज जांच के लिए क्या टेस्ट किया जाता है उसे - Osazone टेस्ट

☆ पेशाब में किस परीरक्षण मिलाने पर फास्ट पॉजिटिव रिएक्शन आता है प्रोटीन का-  थाइमोल

☆ एमआर फर्स्ट फास्फेट किस प्रकार का पेशाब में होता है एल्कलाइन यूरिन

☆जब पेशाब में एल्ब्यूमिन की मात्रा 30 से 300 मिली/डेसीलीटर होता है तो इसे कहते हैं - माइक्रोएल्बुमिनुरिया

☆ किसकी उपस्थिति के कारण मूत्र में Grrasy cloudiness होता है - Lipiduria

 मूत्र की संरचना

मूत्र का 95% भाग पानी होता है यदि ग्लौमेरुलस में चने हिस्से का 98 से 99% भाग पूरा शरीर में समाहित हो जाता है तो शेष बाकी 5 में से 2% यूरिया शेष 3% अकार्बनिक पदार्थ जैसे सोडियम क्लोराइड पोटैशियम कैलशियम मैग्निशियम अमोनिया यूरिक एसिड फास्फेट सल्फेट क्रीटनिन आदि होते हैं।


Note-
* मूत्र की रासायनिक संरचना दिन भर में कई बार चेंज होती है,
* सामान्य रूप से मूत्र में ठोस पदार्थों की मात्रा 60 से 75 मिलीग्राम तक होती है.
● मूत्र का औसत आयतन 24 घंटों में विसर्जित ●
*नवजात शिशु में - 30 से 60 मिलीलीटर 
*1 वर्ष का शिशु - 400 से 500 मिलीलीटर
* 1 से 3 वर्ष का शिशु  - 500- 600 मिलीलीटर
* 3 से 5 वर्ष का बच्चा - 600 से 700 मिलीलीटर 
*5 से 8 वर्ष का बच्चा -650 से 1000 ml
* 8 से 14 वर्ष का बच्चा 800 से 1400 मिलीलीटर 
*सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के मूत्र का औसत आयतन 24 घंटे का- 1200 से 1500 मिलीलीटर

मूत्र की सामान्य जांच

 मूत्र की तीन जांच होती है
1 भौतिक परीक्षण
2  रसायनिक परीक्षण 
3 सूक्ष्मदर्शी परीक्षण

1 भौतिक परीक्षण-मूत्र की साधारण प्रकृति का पता लगाने के लिए निम्न भौतिक जांच की जाती है- 
 A-  मूत्र के रंग की परीक्षा- 
* मूत्र का पीला रंग का होना यूरोक्रोम के कारण होता है,
* मूत्र नारंगी रंग का होने  का कारण ज्वर में अत्यधिक पसीना ,आना मूत्र की सांद्रता बड़ जाना या मूत्र में यूरोविलीनोजेन के विसर्जित होने से हो सकता है।
* मुत्र का लाल रंग मूत्र में रक्त की उपस्थिति चोट लगने से भोजन वर्णों को के कारण, औषधि सेवन करने के कारण हो सकता है।
* मूत्र का हरा या नीला रंग का होना मूत्र के सड़ने पर या कालरा या हैजा रोग के कारण हो सकता है।
* दूध के समान श्वेत वर्ण वाला मूत्र उन अंगों के संक्रमण रोगों या Chyluria रोग का संकेत होता है.

B मूत्र के रूप की परख-  मूत्र का रंग रूप सांप और पारदर्शक होता है इसमें कोई गमला पर नहीं होता है अतः इसकी पारदर्शिता का निरीक्षण करना चाहिएl

C  मूत्र की गंद का निर्धारण-  तुरंत रखे विसर्जित मूत्र में एक विशेष प्रकार की गंध होती है किंतु मूत्र को रखा रहने से उसमें यूरिया के जीवाणु के द्वारा विघटित होने पर अमोनिया मुक्त होती है जिससे पुराने मूत्र में अमोनिया की तेज गंध आती है,
असामान्य मूत्र में एक संडास की गंध आती है जिसे मूत्र पथ के संक्रमण का संकेत मिलता है,
मूत्र से फलों की गंध आने पर मधुमेह कीटोनता या डायबिटीज की होने का पता चलता है इसी प्रकार मूत्र में चूहे किसी बदबू आने पर फिनायलकेटोन्यूरिया के कारण होती है।
D. मूत्र के आयतन की माप-  एक स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में 24 घंटों में मूत्र त्याग की औसत मात्रा 1200 ml से लेकर 1500 ml होती है, सामान्य से कम या अधिक का होना अलग अलग सभी कारण होते हैं और अलग-अलग नाम से जानते हैं.
1-  बहुमूत्रता polyuria - 24  घंटों में विसर्जित मूत्र का मात्रा 2000 मिलीलीटर से अधिक होता है तो इसे polyuria कहते हैं यह कई कारणों से हो सकता है-  जैसे ठंड के मौसम में - सिरा मार्ग में ग्लूकोस सेलाइन चढ़ाने से - औषधियों का अधिक सेवन करने से.
2. अल्पमूत्रताOliquria-  जब 24 घंटे में 500 मिलीलीटर से भी कम मूत्र विसर्जित होता है तो इस दशा को अल्पमूत्रताOliquria कहते हैं-
● ऐसी दशा निम्न कारण से होता है वृक्कशोथ Nephritis कारण
● हैजा // दस्त के कारण
● गर्मी के मौसम में
3. अमूत्रता Anuria- जब वृक्क द्वारा पेशाब बिल्कुल ही नहीं बनता है तो इस स्थिति को अब अमूत्रता Anuria कहा जाता है।
 जो निम्न कारणों से हो सकती है
🔴अत्यधिक उल्टियां होने दस्त आने से
🔴 रक्त आधान प्रतिक्रिया
🔴हृदय पात
🔴 ऑपरेशन के पश्चात
🔴 तीव्र वृक्कीय पात

4-  मूत्रावरोधRetation of Urine- किडनी में पेशाब तो बनता है पर किसी कारणवश  मूत्र मार्ग से बाहर नहीं निकलता है इस दशा को  मूत्रावरोध or (Retation of Urine) रिटेंशन ऑफ यूरिन कहते हैं!

5.  निशामेह Nocturia) - जब एक सामान्य व्यक्ति रात्रि में 500 मिलीलीटर से अधिक मूत्र विसर्जित करता है तो इस दशा को निशामेह( Nocturia) कहते हैं-

Note-  कभी-कभी हम मूत्र में मल की गंध आ सकती है जिसका कारण मल का मूत्र में मिल जाना होता है और यह ई•कोलाई के कारण होता है।

E-  मूत्र का आपेक्षिक घनत्व का पता लगाना-  मूत्र में विभिन्न पदार्थों का मिश्रण होने की वजह से वह डाइल्यूट या गाढ़ा या हल्का हो जाता है सामान्य मूत्र का आपेक्षिक घनत्व घटता है या बढ़ता रहता है।
● जैसे- पानी पीने से अधिक पानी के सेवन करने से मूत्र हल्का हो जाता है और घनत्व कम हो जाता है इसके विपरीत अत्यधिक पसीना आने और कम पानी पीने से आपेक्षिक घनत्व बढ़ जाता है।
● आपेक्षिक घनत्व मूत्र का सामान्य 1.003 से 1.030 तक होता है ।

● मूत्र का आपेक्षिक घनत्व मापने की दो विधियां होती है- 1- यूरीनोमीटर की विधि
2-रिफ्रैक्टोमीटर की विधि

F-  मूत्र की प्रतिक्रिया ज्ञात करना {Reaction} मूत्र की अम्लता या क्षारीयता का पता लगाने के लिए यह परीक्षण किया जाता है जो एक प्रकार के रासायनिक पदार्थ लगा कागज की पट्टी को मूत्र में भीगा कर देखने पर किया जाता है यह कागज लिटमस पेपर कहलाता है । इसी पेपर की कुछ अन्य प्रकार की कंपनियां बनाती जैसे -रैनबैक्सी द्वारा निर्मित पत्र
🔴 प्राकृतिक रूप से अम्लीय होती है मूत्र जिसमें नीला लिटमस पेपर लाल हो जाता है।
🔴 यदि मूत्र को काफी समय तक रखा जाता है तो वह अमोनिया गैस निकलने के कारण क्षारीय हो सकती है।

2-  रासायनिक परीक्षण (chemical test or chemical analysis) कुछ ऐसे रोग होते हैं जैसे मधुमेह आदि के निदान के लिए मूत्र का रासायनिक परीक्षण किया जाता है-
 🔴मूत्र में ग्लूकोस या शुगर की जांच करने के तीन विधियां हैं -
1 बेनेडिक्ट परीक्षण Benedict test






2 क्लीनीटैस्ट  टेबलेट परीक्षण clinitest tablet method
3 टैस्ट स्ट्रिप विधि test strips method

🔴 मूत्र में प्रोटीन या एल्बुमिन की जांच करने के लिए तीन विधियों का उपयोग करते हैं- 1 उष्मा एवं एसिटिक एसिड परीक्षण heat and acetic acid test
2 पेपर स्ट्रिप विधि paper strip method
3 सल्फो सैलिसिलिक एसिड परीक्षण sulfosalicylic acid test



3 . सूक्ष्मदर्शी परीक्षण मूत्र का microscopic examination of urine-  मूत्र और उसके तलछट का सूक्ष्मदर्शी प्ररिक्षण किया जाता है मूत्र में जो घुलनशील पदार्थ मूत्र में तथा  अघुलनशील ठोस पदार्थ रहते हैं इन ठोस पदार्थों के कड़ मूत्र को सेंट्रीफ्यूज करने पर अलग हो जाते हैं तब इन कणों के ढेर को तलछट या सेडिमेंट कहते हैं इन्हीं सेडिमेंट्स का माइक्रोस्कोपिक अध्ययन किया जाता है।
🔴 मूत्र में मुख्य रूप से तीन प्रकार के तत्व पाए जाते हैं-
1 कोशिका -
१☆एपिथिलियल कोशिकाएं  जिसके दो प्रकार होते हैं - स्कवैमस इपिथिलियल कोशिकाएं  & बहु कोणीय एपिथिलियल कोशिकाएं
२☆लाल रक्त कण/ रेड ब्लड सेल्स
३☆ श्वेत रक्त कण/ वाइट ब्लड सेल्स
४☆शुक्राणु/ spermatozoa

2कास्ट- कई प्रकार के होते हैं इनकी उत्पत्ति फ्रोन में प्रोटीन जम जाने के कारण होती हैं वह कोशिकाओं दानेदार तत्वों के रह जाने से होती है -
१☆ hyaline casts
२☆


     
             
        

                 
   

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