नई दिल्ली।
दुनिया भर में तांडव मचा रहे कोरोना वायरस जहां विश्व के 200 से भी अधिक देशों में अपना कोहराम मचाया हुआ है यह कोरोनावायरस के खिलाफ जीत का कोई रास्ता सूझता नहीं दिख रहा है। वैज्ञानिकों भी मान रहे हैं कि कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए कोई भी दवा आने की एक साल से पहले संभावना नहीं है। लेकिन, इन सबके बीच डॉक्टरों ने उम्मीद की एक किरण को जिंदा किया है।
शोध में हुआ खुलासा
एक ताजा शोध के बाद वैज्ञानिक अब 100 साल पहले तैयार किए गए उस टीके को कारगर हथियार मान रहे हैं, जिसे दुनिया में अब कोई नहीं पूछ रहा था। दरअसल, इस शोध में सामने आया है कि कोरोना से लड़ने में टीबी की सबसे पुरानी दवा यानि बीसीजी का टीका कारगर साबित हो रहा है। बीसीजी का टीका जो बच्चों में क्षय रोग के लिए लगाया जाता है यह टीका माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करती है।
बीसीजी की दवा में दिखी उम्मीद
पिछले चार महीनों से कोरोना वायरस के विभिन्न इलाजों के शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि बीसीजी (BCG) का टीका काफी प्रभावशाली है। ऐसे देश जहां अभी भी टीबी रोग से बचाव के लिए बीसीजी का टीका लगाया जाता है, वहां कोरोना वायरस का संक्रमण अन्य देशों के मुकाबले कम फैला है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों पर इस टीके से फायदा कम नजर आ रहा है। लेकिन एक अच्छी बात ये है कि जिनकों टीबी के बचाव के लिए बीसीजी के टीके लगे हैं उनमें कोरोना वायरस अटैक करने में कामयाब नहीं हो पा रहा है।
भारत में भी जारी है जांच
एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) के प्रमुख डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि बीसीजी टीके देश में हर बच्चे को लगाया जाता है। हाल ही में कोरोना वायरस पर बीसीजी टीके के असर पर भारतीय वैज्ञानिक भी नजर बनाए हुए हैं। कोरोना संक्रमण के बचाव में इस टीके पर सटीक शोध के बाद ही कुछ ठोस कहना मुमकिन होगा।
भारत में अनिवार्य है बीसीजी का टीका
बता दें कि भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण के तहत सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से बीसीजी के टीके लगाए जाते हैं। बच्चों को टीबी से बचाने के लिए ही ये टीके टीकाकरण में शामिल हैं। भारत में बीसीजी का टीका सभी बच्चों को लगाया जाता है जो जन्म के तुरंत बाद से इस टीका को लगाया जा सकता है जन्म के तुरंत बाद से लेकर 1 वर्ष के भीतर कभी भी लगाए जा सकता है किंतु जितना जल्दी हो उतना जल्दी लगाया जाता है जन्म के तुरंत बाद।
अमेरिका, इटली, इंग्लैंड और फ्रांस समते पूरे यूरोप में कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत अधिक है। इन देशों ने कई दशकों पहले ही बीसीजी के टीके लगाना बंद कर दिया था। अब यही टीका वैज्ञानिकों के शोध का केंद्र बना हुआ है।
Covid-19 Daily Update Govt. Site News
दुनिया भर में तांडव मचा रहे कोरोना वायरस जहां विश्व के 200 से भी अधिक देशों में अपना कोहराम मचाया हुआ है यह कोरोनावायरस के खिलाफ जीत का कोई रास्ता सूझता नहीं दिख रहा है। वैज्ञानिकों भी मान रहे हैं कि कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए कोई भी दवा आने की एक साल से पहले संभावना नहीं है। लेकिन, इन सबके बीच डॉक्टरों ने उम्मीद की एक किरण को जिंदा किया है।
शोध में हुआ खुलासा
एक ताजा शोध के बाद वैज्ञानिक अब 100 साल पहले तैयार किए गए उस टीके को कारगर हथियार मान रहे हैं, जिसे दुनिया में अब कोई नहीं पूछ रहा था। दरअसल, इस शोध में सामने आया है कि कोरोना से लड़ने में टीबी की सबसे पुरानी दवा यानि बीसीजी का टीका कारगर साबित हो रहा है। बीसीजी का टीका जो बच्चों में क्षय रोग के लिए लगाया जाता है यह टीका माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करती है।
बीसीजी की दवा में दिखी उम्मीद
पिछले चार महीनों से कोरोना वायरस के विभिन्न इलाजों के शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि बीसीजी (BCG) का टीका काफी प्रभावशाली है। ऐसे देश जहां अभी भी टीबी रोग से बचाव के लिए बीसीजी का टीका लगाया जाता है, वहां कोरोना वायरस का संक्रमण अन्य देशों के मुकाबले कम फैला है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों पर इस टीके से फायदा कम नजर आ रहा है। लेकिन एक अच्छी बात ये है कि जिनकों टीबी के बचाव के लिए बीसीजी के टीके लगे हैं उनमें कोरोना वायरस अटैक करने में कामयाब नहीं हो पा रहा है।
भारत में भी जारी है जांच
एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) के प्रमुख डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि बीसीजी टीके देश में हर बच्चे को लगाया जाता है। हाल ही में कोरोना वायरस पर बीसीजी टीके के असर पर भारतीय वैज्ञानिक भी नजर बनाए हुए हैं। कोरोना संक्रमण के बचाव में इस टीके पर सटीक शोध के बाद ही कुछ ठोस कहना मुमकिन होगा।
भारत में अनिवार्य है बीसीजी का टीका
बता दें कि भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण के तहत सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से बीसीजी के टीके लगाए जाते हैं। बच्चों को टीबी से बचाने के लिए ही ये टीके टीकाकरण में शामिल हैं। भारत में बीसीजी का टीका सभी बच्चों को लगाया जाता है जो जन्म के तुरंत बाद से इस टीका को लगाया जा सकता है जन्म के तुरंत बाद से लेकर 1 वर्ष के भीतर कभी भी लगाए जा सकता है किंतु जितना जल्दी हो उतना जल्दी लगाया जाता है जन्म के तुरंत बाद।
अमेरिका, इटली, इंग्लैंड और फ्रांस समते पूरे यूरोप में कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत अधिक है। इन देशों ने कई दशकों पहले ही बीसीजी के टीके लगाना बंद कर दिया था। अब यही टीका वैज्ञानिकों के शोध का केंद्र बना हुआ है।
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